Details, Fiction and hindi kahani short
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हिंदी कहानियां प्रेरणादायक
भूमि ही क्या संसार के जितने भी पदार्थ हैं धन सम्पति हैं मकान आदि हैं, इनमें से कुछ भी तुम्हारा नही हैं.
स्कूल के पीछे नदी में,,,,,, प्रिंसिपल जी डूब रहे थे। एक छात्र ने जब ये देखा तो चिल्लाते हुए स्कूल की तरफ भागा .
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली थी और छात्र गुरुकुल में ही रहकर पढ़ते थे. उन्हीं दिनों की बात है.
खेत का मालिक मुह उतारकर आकाश में उड़ती हुई कुरज को एकटक देखता रहा.
यह सुनकर उस धनी युवक की आँखों से प्रेम की धारा बह पड़ी, और बेटी को गले लगा दिया. तभी वह मन ही मन सोचने लगा,
कुरज तो आकाश में अद्रश्य हो गईं, उन्दरा पाताल में अद्रश्य हो गया.
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इससे पहले कि आप आगे पढ़ें अब जबकि मैंने यह किताब पूरी कर ली है, जो कि अब प्रिंट में आने ही जा रही है, आपको बताना ज़रूरी है कि मैं कौन हूँ और यह पुस्तक क्यों लिख रहा हूँ। मैं संयोग से लेखक बना। जीवन ...
मुझे तेरा विशवास नही हैं. खेत के मालिक ने ज्यादा हठ की तो
तो वह बोला इन देशो में ज्ञान की कोई कीमत नही हैं, हर कोई पैसे के पीछे पड़ा रहता हैं.
वह मनीषा के पास पहुची और उसका हाथ पकड लिया. शीला उसे खीचकर किनारे ले आई. वह थक कर गिर पड़ी.
कोहनी नही मुडनी चाहिए. भोजन भी नही बचना चाहिए, प्रजापति की आज्ञा का पालन भी होना चाहिए.
थोड़ी देर बाद उसे लगा कि उसके सिर पर कोई हाथ फेर रहा हैं. जब उमा ने नजर उठाकर देखा तो सामने उसकी माँ थी वह समझाते हुई बोली, बेटा कोई भी काम बिगाड़ना आसान है मगर उसे बनाना बहुत कठिन हैं.
इस कथा से श्रीकृष्ण में एक परम विश्वस्त और उदार मित्र के दर्शन होते हैं.